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Indira Gandhi Peace Prize 2023: दानियल बारेनबॉयम और अली अबू आवद को गांधीवादी सिद्धांतों पर विश्वास

Indira Gandhi Peace Prize 2023 की घोषणा मंगलवार को की गई, और इस बार यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दो महान व्यक्तित्वों डैनियल बैरेनबोइम और अली अबू अवाद को प्रदान किया गया है। इन दोनों ने शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी है, और वे इस्लामियों और फिलिस्तीनियों के बीच समझ और सहयोग बढ़ाने के लिए अहिंसक तरीकों का उपयोग करते हैं। इन तरीकों में संगीत, संवाद और सामुदायिक आंदोलन शामिल हैं।

डैनियल बैरेनबोइम: संगीत के माध्यम से शांति का संदेश

अर्जेंटीना में जन्मे डैनियल बैरेनबोइम एक प्रसिद्ध पियानोवादक हैं, जिन्हें दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित ऑर्केस्ट्राओं के साथ प्रदर्शन करने के लिए जाना जाता है। बैरेनबोइम का संगीत न केवल कला का माध्यम है, बल्कि उन्होंने इसे पश्चिम एशिया में शांति फैलाने के लिए भी एक प्रभावी उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है। उनका मानना है कि संगीत लोगों को जोड़ सकता है और एक दूसरे के प्रति सहानुभूति और समझ बढ़ा सकता है। उनके योगदान को देखते हुए, उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है, क्योंकि उन्होंने संगीत के माध्यम से इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति की दिशा में प्रयास किए हैं।

बैरेनबोइम का संगीत न केवल सांस्कृतिक गतिविधि है, बल्कि उन्होंने इजराइल और फिलिस्तीन के कलाकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘वेस्ट ईस्ट डिवान ऑर्केस्ट्रा’ की स्थापना की, जो विभिन्न देशों के संगीतकारों को एक मंच पर लाता है और शांति का संदेश फैलाता है। उनका यह प्रयास यह दर्शाता है कि कैसे कला और संगीत युद्ध और हिंसा के बजाय संवाद और समझ को बढ़ावा दे सकते हैं।

अली अबू अवाद: अहिंसा के सिद्धांतों का पालन

अली अबू अवाद, जो कि एक प्रमुख फिलिस्तीनी शांति कार्यकर्ता हैं, इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए अहिंसक तरीकों के हिमायती रहे हैं। 1972 में एक राजनीतिक सक्रिय शरणार्थी परिवार में जन्मे अवाद ने अपनी ज़िंदगी में कई कष्ट झेले हैं। वह जेल में रहे हैं, और उनकी मां ने उनकी मुलाकात के लिए भूख हड़ताल भी की थी। इन घटनाओं ने अवाद को अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांतों को आत्मसात किया और मानते हैं कि बिना हिंसा के रास्ते पर चलकर ही स्वतंत्रता और सम्मान प्राप्त किया जा सकता है।

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Indira Gandhi Peace Prize 2023: दानियल बारेनबॉयम और अली अबू आवद को गांधीवादी सिद्धांतों पर विश्वास

अली अवाद ने अपने जीवन के अनुभवों से यह सीखा कि संघर्ष और हिंसा से कभी भी स्थायी समाधान नहीं निकलता। उनका मानना है कि अगर फिलिस्तीन और इजराइल दोनों पक्ष अहिंसा को अपनाएं तो ही वे शांति की ओर बढ़ सकते हैं। अवाद ने हमेशा अपनी आवाज को शांतिपूर्वक व्यक्त किया है और वह समुदायों के बीच संवाद और सहनशीलता को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं।

गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरणा

डैनियल बैरेनबोइम और अली अबू अवाद दोनों ही गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरित हैं। बैरेनबोइम ने अपने संगीत और कला के माध्यम से शांति का संदेश फैलाया है, जबकि अवाद ने अहिंसक प्रतिरोध के द्वारा संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने का प्रयास किया है। दोनों ही व्यक्तित्वों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अहिंसा, सहिष्णुता और संवाद को बढ़ावा दिया है, जो गांधीजी के विचारों के अनुरूप है।

पुरस्कार की चयन प्रक्रिया और सम्मान

इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार 2023 के चयन प्रक्रिया में पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली समिति ने डैनियल बैरेनबोइम और अली अबू अवाद के नामों की सिफारिश की। इन दोनों ने अपनी सक्रियता के माध्यम से शांति की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है।

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इस पुरस्कार से दोनों शांति दूतों को उनके योगदान की सराहना मिली है और उनके प्रयासों को एक वैश्विक मंच पर मान्यता प्राप्त हुई है। यह पुरस्कार शांति, निरस्त्रीकरण और विकास की दिशा में उनके अद्वितीय प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए दिया गया है।

इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार 2023 का वितरण डैनियल बैरेनबोइम और अली अबू अवाद जैसे महान व्यक्तित्वों को किया गया, जिन्होंने शांति, संवाद और अहिंसा के माध्यम से संघर्षों को समाप्त करने के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी है। उनकी यह पहचान वैश्विक शांति की दिशा में एक प्रेरणा बनी हुई है। उनके प्रयास यह साबित करते हैं कि अहिंसा और समझदारी से ही हम दुनिया में स्थायी शांति और सम्मान ला सकते हैं।

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